“नारी के स्वरूप”
उन्मुक्त पवन में मुझे देख , चुम्बन अर्पित करने वालों |
मेरी छवि की इस सरिता पर , न्योछावर तन करने वालों |
सोलह सिंगार से रची हुई मैं तरुण तरणि की आभा हूँ |
यौवन की नई ज्योति बनकर , मै ही रति की मर्यादा हूँ ||
मानव की हर इक विजयों में , मै ही प्रेरणा श्रोत बनती |
संघर्ष भरे इस जीवन की , मै ही आधारशिला बनती |
मुझ में सत्ता ईश्वर की है , मै देव रूप प्रतिमा भी हूँ |
जिस सत्ता से संसार चला , उस सत्ता की गरिमा मै हूँ ||
मैं जननी भाग्य विधाता की , हूँ तुच्छ मानवों की माता |
मैं माता , रानी , सेवक हूँ ,और मै ही हूँ सबकी धाता ||
अमित मिश्र
जवाहर नवोदय विद्यालय
नोन्ग्स्तोइन मेघालय