नारी का सम्मान नहीं तो…
*नारी का सम्मान नहीं तो……
नारी का सम्मान नहीं तो
पुरुष कहां रह पायेगा
हिंसक बनकर यहां जगत में
कहां ठिकाना पायेगा।।
रिश्ते नाते सभी बधे हैं
नारी के पावन आंचल से
सदा बढ़ाती कुल का गौरव
लोग बधे हैं आंचल से।।
नित नित करती है नारी
अपने औलादों की रक्षा
कैसे बनते ये नर पिशाच
जिनने नारी को ही भक्षा ।।
कितनी मृदुल सहज नारी
जो प्रकृति की थाती है
मां तो होती है स्नेहिल
सद्प्रेम सदा लुटाती है।।
भारत की ये रीति रही है
जब नारी पूजी जाती थी
देव मनुज गंधर्व सभी से
ऊंची मानी जाती थी।
जननी की महिमा महान
वेदों ने भी गायी है
शक्ति आराधक भक्तों ने
तब मां से शक्ति पायी है।।
दिल्ली हो या कलकत्ता
हर ओर नराधम उछल रहे
नारी का सम्मान मिटाने
हैं महा निशाचर मचल रहे।।
पशुता और असुरता से
हैं कूट कूट कर पड़े हुए
मानवता मिट गयी यहां
निर्लज्ज भाव से खड़े हुए।।
उठो खड़े हो शक्ति के
पूजक साधक वीरों तुम
दानवता के पुञ्जों को
दो मिटा चरण से वीरों तुम।।
**मोहन पाण्डेय ‘भ्रमर