नाम है बदनाम उनका जब जुआरी हो गए
नाम है बदनाम उनका जब जुआरी हो गए
वो निगाहों में पुलिस की अब हज़ारी हो गए
वोट जनता से लिये नेता सियासत में ग़ज़ब
मुफ़लिसों के माल के वो सब शिकारी हो गए
चंद मिनटों में लिया जो फ़ैसला सोचे बिना
फ़ैसले पल में लिये नस्लों पे भारी हो गए
नोट नकली छप गए हैं दौर कैसा ये चला
डाकटिकटें उस पे नकली और ज़ारी हो गए
कुछ क़तारें हैं अलग नारी की ख़ातिर हर जगह
फ़ायदा लेने की ख़ातिर वो भी नारी हो गए
ढ़ंग बदले हैं हमेशा रंग बदले हैं सदा
आदमी कुछ गिरगिटों से रंगधारी हो गए
सबसे अव्वल सबसे बढ़कर इक मदारी वक़्त है
सैंकड़ों दुनिया में बेशक़ से मदारी हो गए
मौत का मतलब है क्या समझो इसे कुछ इस तरह
जिस्म के छुट्टी पे सारे कर्मचारी हो गए
थे अना में चूर जितने ज़िन्दगी की रेस में
आज वो ‘आनन्द’ सारे ही भिखारी हो गए
– डॉ आनन्द किशोर