नाम करना है ।
मुझें बड़ा कोई नाम नही करना
लेकिन उसका गुरुर तोड़ना है
वो भले दुश्मनी कर ले मुझसे
हमें उसे गले लगाकर रिश्ते जोड़ना है ।
अपनी दुनिया अलग ही रखता हूं
बेमतलब लोग इसमें शामिल न हो
ख़ुद को इस क़दर ढाल लो तुम
कोई सामने बोलने के काबिल न हो ।
उसे गुरुर है वो डरा चुका है हमें
इक बार जीत कर कह रहा हरा चुका है हमें
है कितनी गलतफहमी उसकी ज़रा बताए कोई
गले मिल कर कई बार लड़ा चुका है हमें ।
– हसीब अनवर