नामुमकिन नहीं
नामुमकिन तो नहीं, मुश्किल जरूर है।
हर रास्ते की लेकिन मंजिल जरूर है।
तड़पा देता है जिसे किसी आंख का आंसू
माना दिमाग नहीं मगर दिल जरूर है।
ऐसे ही तो उनके ,चर्चे नहीं जुबां पर
इतना हसीन तो मेरा क़ातिल जरूर है।
बार बार ढूंढती है उनको सब की निगाहें
मौजूद है सब ,सूनी महफिल जरूर है।
इतने मासूम भी न बनो,फना करके हमें
जबीं सजदे में ,बेशक वो जाहिल जरूर है।
अब किस किस को सुनाये दर्द ए दिल
बस इश्क का अश्क हासिल जरूर है।
लहरें पटकती है सर जहां आकर बार बार
टूटता बिखरता वो ,साहिल भी जरूर है।
सुरिंदर कौर