नादान था मेरा बचपना
मैंने सिर्फ अपना बचपन वापस मांगा था,
जमाने ने तो मेरा बचपना ही छीन लिया।
मैं तो लोगों को सिर्फ हंसाना ही जानता था,
मगर यहां तो मुझे पागल ही समझ लिया।।
हर एक के दिल में घर बनाना चाहता था,
खाली से इस दिल को ऐबों से है भर दिया।।
इक नए सफ़र का मुसाफिर बनने चला था,
अपनों ने गैर बन, सफ़र बेरंग सा कर दिया।।
@राहुल_जज़्बाती