नादानी में बड़ा फायदा
नादान बनके रहने में जो फायदा है ,
सयाना बनके रहने में बिल्कुल नही ।
सयानों के इम्तेहान लेता खुदा बारहा,
नादानों को इसके काबिल समझता नही ।
सयानोें से लोगों को भी उम्मीदें रहती हैं,
नदानों से कोई उम्मीद रखता ही नही ।
सयाने कभी कभी धोखा खा जाते है ,
अपने गुरूर को संभाल पाते नहीं।
नादान अपने भोलेपन में रहता मस्त ,
किसी तरह की फिक्र उसे होती नहीं।
सयाना डूबा रहता दुनियादारी निभाने में,
नादान को किसी से कोई सरोकार नहीं ।
तभी तो आखरी सफर आराम से गुजरता,
नादान को होता किसी तरह रंजो गम नही ।
सयाना तिल तिल मरता दर्द को ओढ़े हुए ,
और रूह को मिलता चैन ओ करार नहीं।
इसीलिए ” अनु “को जो समझते लोग नादान,
उन्होंने सयाने पन से कुछ हासिल किया नही ।