नादां दिल
“पास तुम्हारे आने में “लज्जा”आती है..
दूर जाना चाहूं तो “याद” सताती है..
राज की बात बताऊँ, तुम्हें भाएगी क्या..
दिल है तुम्हारा बताऊं मैं क्या..
दिल ने की शरारत कुछ “बता” सकोगे क्या..
नयनों ने की शरारत “तुम” जान पाओगे क्या..
दिल की नादानी को तुम ,”समझ” पाओगे क्या..
प्रेम है जो तुम्हारा “जीवन” ठहर पाएगा क्या..
राज की बात राज ही रहने दो वक्त रहते “तुम” समझ पाओगे क्या”..
✍️ प्रतिभा कुमारी -गया
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