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28 Feb 2020 · 1 min read

नही बचा शायद कोई इंसा शुक्रिया हैवान बनाने के लिए

शुक्रिया दिल्ली को राख बनाने के लिए
एक अज़ाब बनाने के लिए

उजड़ गयी दिल्ली शुक्रिया
उन सबका धुंए में उड़ाने के लिए

नही बचा शायद कोई इंसा
शुक्रिया हैवान बनाने के लिए

धर्म विचार है, ज़िन्दगी जीने की आयतें
शुक्रिया नामोनिशां मिटाने के लिए

फ़क़त बचा है धर्म और उसकी आयतें
इंसा कहाँ बचा धर्म की आयतें बताने के लिए

बनाने वाला ही जब लाचार बन बैठा है
कौन जाए फिरश्तों को बताने के लिए

सफेद कुर्ते मौन है, उन्हें बताए कोई
वोट बैंक ज़िंदा है उन्हें जीताने के लिए

भूपेंद्र रावत
26/02/2020

2 Likes · 355 Views
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