नही बचा शायद कोई इंसा शुक्रिया हैवान बनाने के लिए
शुक्रिया दिल्ली को राख बनाने के लिए
एक अज़ाब बनाने के लिए
उजड़ गयी दिल्ली शुक्रिया
उन सबका धुंए में उड़ाने के लिए
नही बचा शायद कोई इंसा
शुक्रिया हैवान बनाने के लिए
धर्म विचार है, ज़िन्दगी जीने की आयतें
शुक्रिया नामोनिशां मिटाने के लिए
फ़क़त बचा है धर्म और उसकी आयतें
इंसा कहाँ बचा धर्म की आयतें बताने के लिए
बनाने वाला ही जब लाचार बन बैठा है
कौन जाए फिरश्तों को बताने के लिए
सफेद कुर्ते मौन है, उन्हें बताए कोई
वोट बैंक ज़िंदा है उन्हें जीताने के लिए
भूपेंद्र रावत
26/02/2020