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13 Jul 2019 · 1 min read

नहीं मिली खुशियाँ

थी बहुत खुश
वो
फैरती बार बार
हाथ पेट पर
वो
शरारते उसकी
याद कर कर
मुस्कुरा उठती थी
वो

गूंज उठेगी
अब तो
किलकारी
घर में
होगी दुनियां की
सबसे खुशकिस्मत
वो

चोरी छिपे
होते काम
सब

कर दिया
सब धोखे से
अब था
शिशु की
किलकारी
उसका सपना
टूटे गयी थी
तन मन से
वो

स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 194 Views
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