Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Jul 2019 · 1 min read

नहीं मिली खुशियाँ

थी बहुत खुश
वो
फैरती बार बार
हाथ पेट पर
वो
शरारते उसकी
याद कर कर
मुस्कुरा उठती थी
वो

गूंज उठेगी
अब तो
किलकारी
घर में
होगी दुनियां की
सबसे खुशकिस्मत
वो

चोरी छिपे
होते काम
सब

कर दिया
सब धोखे से
अब था
शिशु की
किलकारी
उसका सपना
टूटे गयी थी
तन मन से
वो

स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 202 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

पीता नहीं मगर मुझे आदत अजीब है,
पीता नहीं मगर मुझे आदत अजीब है,
Kalamkash
कुण्डलिया छंद
कुण्डलिया छंद
sushil sharma
**मातृभूमि**
**मातृभूमि**
लक्ष्मण 'बिजनौरी'
नदिया का नीर
नदिया का नीर
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
नवगीत : हर बरस आता रहा मौसम का मधुमास
नवगीत : हर बरस आता रहा मौसम का मधुमास
Sushila joshi
*वकीलों की वकीलगिरी*
*वकीलों की वकीलगिरी*
Dushyant Kumar
बागक सुख
बागक सुख
श्रीहर्ष आचार्य
दिनकर शांत हो
दिनकर शांत हो
भरत कुमार सोलंकी
नायब सिंह के सामने अब 'नायाब’ होने की चुनौती
नायब सिंह के सामने अब 'नायाब’ होने की चुनौती
सुशील कुमार 'नवीन'
सचेतन संघर्ष
सचेतन संघर्ष
अमित कुमार
*** हम दो राही....!!! ***
*** हम दो राही....!!! ***
VEDANTA PATEL
ज़िंदगी हमें हर पल सबक नए सिखाती है
ज़िंदगी हमें हर पल सबक नए सिखाती है
Sonam Puneet Dubey
कुंडलिया
कुंडलिया
sushil sarna
पल पल है जिंदगी जिले आज
पल पल है जिंदगी जिले आज
Ranjeet kumar patre
उजाले
उजाले
Karuna Bhalla
3361.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3361.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
" मुँह मांगा इनाम "
Dr. Kishan tandon kranti
एक उदासी
एक उदासी
Shweta Soni
ସେହି ଭୟରେ
ସେହି ଭୟରେ
Otteri Selvakumar
*कर्मफल सिद्धांत*
*कर्मफल सिद्धांत*
Shashi kala vyas
गम के दिनों में साथ कोई भी खड़ा न था।
गम के दिनों में साथ कोई भी खड़ा न था।
सत्य कुमार प्रेमी
दृढ़
दृढ़
Sanjay ' शून्य'
पतंग
पतंग
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
सिलसिला
सिलसिला
Ruchi Sharma
” मेरी लेखनी “
” मेरी लेखनी “
ज्योति
*रचना सुंदर बन रही, घर-घर बनता चित्र (कुंडलिया)*
*रचना सुंदर बन रही, घर-घर बनता चित्र (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
तुम्हारा
तुम्हारा
Varun Singh Gautam
यात्राओं से अर्जित अनुभव ही एक लेखक की कलम की शब्द शक्ति , व
यात्राओं से अर्जित अनुभव ही एक लेखक की कलम की शब्द शक्ति , व
Shravan singh
कितना बदल रहे हैं हम ?
कितना बदल रहे हैं हम ?
Dr fauzia Naseem shad
■ दोहा-
■ दोहा-
*प्रणय*
Loading...