नहीं मिलते सभी सुख हैं किसी को भी ज़माने में
नहीं मिलते सभी सुख हैं किसी को भी ज़माने में
गुज़ारो ज़िन्दगी चाहे यहाँ सारी कमाने में/1
किसी का ग़म अगर ख़ुद का लगे लगने समझ लो फिर
ख़ुशी बढ़ने चली सुनलो तेरे दिल के ख़ज़ाने में/2
आर.एस. ‘प्रीतम’
नहीं मिलते सभी सुख हैं किसी को भी ज़माने में
गुज़ारो ज़िन्दगी चाहे यहाँ सारी कमाने में/1
किसी का ग़म अगर ख़ुद का लगे लगने समझ लो फिर
ख़ुशी बढ़ने चली सुनलो तेरे दिल के ख़ज़ाने में/2
आर.एस. ‘प्रीतम’