नहीं देखते कर्म खुद के, खबर रखते हैं जमाने की
नहीं देखते कर्म खुद के, खबर रखते हैं जमाने की
नसीहत सबको देते हैं, कर्मों को सजाने की
न सबर न सुकून दिल में, बातें ईमान लाने की
भरोसा है नहीं खुद पर, बात दुनिया बसाने की
बात नेकी करते हैं, राहें बद गुमानी की
जिंदगी जुर्म में गुजरी, मंशा जन्नत में जाने की
सुरेश कुमार चतुर्वेदी