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29 Jan 2021 · 2 min read

…हाय! गरीबी नाश हो तेरा…

एक गीत –
…हाय! गरीबी नाश हो तेरा…
========
जीने की कोई बजह नहीं है।
मरने की हिम्मत भी नहीं है।।
कश्मकश है बड़ी जोर पै।
सुलझाने की दशा नहीं है।।
दिख रहा है खूब खजाना।
घर में दाना -पानी नहीं है।।
अभी तलक तो बंद है मुठ्ठी।
कब तक रहेगी पता नहीं है।।
उम्मीदों की जो जलती लौ ।
जली हुई है बुझी नहीं है।।
अभी रोज लिखता हूं किस्मत।
बदलेगी कब पता नहीं है।।
फेसबुक पर मित्र पढ़ेंगे।
हंसकर खूब कमेंट करेंगे।।
काम कोई नहीं आने वाला।
मानवता की बात करेंगे।।
मरना है भूखे मर जाओ।
नहीं किसी से जिक्र करेंगे।
हंसकर पूछे और रूलाएं।
यही किया है यही करेंगे।।
वक्त अगर जालिम हो जाए।
सबसे पहले अपने भागेंगे।।
मुसीबतों का कहर हैं टूटा।
किससे कहें कौन सुनेंगे।।
मरना बुजदिल होता “सागर”।
कहने वाले यही कहेंगे।।
चलो एक और हिम्मत लेकर।
चलो वक्त से यही कहेंगे।।
जो जी में है खुलकर कर लें।
मरते -मरते भी ना मरेंगे।।
हाय! गरीबी नाश हो तेरा।
रोज कहेंगे – खूब कहेंगे ।।
तेरे कारण कितने मरते।
मरजा तू भी रोज कहेंगे।।
जेब में ना पैसा -पाई है।
जी भर लानत भी खाई है।।
दवाई नाम पै जहर पीया है।
कितनी काली परछाई है।।
हम ग़म में ही शाम करेंगे।
तुझको भी बदनाम करेंगे।।
जिसके घर में तू बैठी हो।
वो कैसे आराम करेंगे।।
रंग देख लें जी भर तेरे।
आत्मसमर्पण नहीं करेंगे।।
दे जितने देने है फांकें।
आत्महत्या नहीं करेंगे।।
ज़ालिम तेरे एक- एक सितम पै।
खुशियों वाले गीत लिखेंगे।।
रोज मार तू नहीं मरेंगे।
नहीं मरेंगे -नही मरेंगे।।
=======
मूल गीतकार/बेखौफ शायर
डॉ. नरेश कुमार “सागर”
29/01/2021……9149087291

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 4 Comments · 364 Views
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