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24 May 2021 · 1 min read

नहीं आप उसको युॅ ठुकराइएगा

१२२ १२२ १२२ १२२
छंद-वाचिक भुजंगप्रयात (मापनीयुक्त)
विधा – गीतिका
समांत-आइएगा
अपदान्त।

हुई भूल हमसे न अब गाइएगा ।
मिलो प्यार से मान अब जाइएगा ।।१।

चलो भूल जाएं गिले और शिकवे,
हमें और इतना न तडफाइएगा।२।

हकीकत से’ मोड़ो न मुख यार अब तुम,
हँसी वक्त को अब न बिसराइएगा।३।

मिला आज जो कुछ बहुत ख़ूबसूरत,
इसी में खुशी खूब अब पाइएगा।४।

गजब आब है चेहरे पे तुम्हारे,
सितम आज हम पर न अब ढाइएगा।५।

अटल आज तक देखता ही रहा है,
नहीं आप उसको युॅ ठुकराइएगा।६।

अटल मुरादाबादी

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