नहीं आप उसको युॅ ठुकराइएगा
१२२ १२२ १२२ १२२
छंद-वाचिक भुजंगप्रयात (मापनीयुक्त)
विधा – गीतिका
समांत-आइएगा
अपदान्त।
हुई भूल हमसे न अब गाइएगा ।
मिलो प्यार से मान अब जाइएगा ।।१।
चलो भूल जाएं गिले और शिकवे,
हमें और इतना न तडफाइएगा।२।
हकीकत से’ मोड़ो न मुख यार अब तुम,
हँसी वक्त को अब न बिसराइएगा।३।
मिला आज जो कुछ बहुत ख़ूबसूरत,
इसी में खुशी खूब अब पाइएगा।४।
गजब आब है चेहरे पे तुम्हारे,
सितम आज हम पर न अब ढाइएगा।५।
अटल आज तक देखता ही रहा है,
नहीं आप उसको युॅ ठुकराइएगा।६।
अटल मुरादाबादी