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18 Oct 2021 · 1 min read

नहीं अच्छा

किसी का दिल चुराकर यूँ नजरें चुराना नहीं अच्छा
दिल मे घर बनाकर यूँ रुठ जाना नहीं अच्छा

तुम्हारी खुशी से खुश हैं हम तुम्हारे गम से गमजदा
ऐ मेरे ख्वाबों की कली तेरा यूँ मुरझाना नहीं अच्छा

जब तुम खफा से होते हो ये जाँ निकल सी जाती है
अपने ही दिल के टुकड़े पर यूँ सितम ढाना नहीं अच्छा

गर हम तेरे काबिल न थे पहले ही कह दिया होता
चराग-ए-मोहब्बत जलाकर यूँ बुझा देना नहीं अच्छा

इन जुल्फों का सहारा न मिलता तो कब के मर गये होते
कस्ती को लाके साहिल में फिर डुबो देना नहीं अच्छा

M.Tiwari”Ayen”

1 Like · 2 Comments · 355 Views
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