नसीबों में प्यार
********* नसीबों में प्यार *********
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यूं छत से टपकते पानी सा है प्यार,
बूँदों सा जहां में ये मिलता है प्यार।
हिस्से में किसी को मिलती गम की मार,
मिल जाता किसी को जो बिछड़ा है प्यार।
कोई जान ना पाया कैसा संसार,
हाथों से फिसल जाता जल सा है प्यार।
मीठी मार दे ढाई लफ्ज़ो में सार,
आँखों में बहाता अश्रु धारा है प्यार।
है तलवार से तीखी मनसीरत धार,
मुश्किल से नसीबों में होता है प्यार।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)