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17 Jul 2023 · 1 min read

नश्वरता

समय के साथ साथ एक एक कर हम सब
इस नश्वर संसार को अलविदा कह जाएँगे
चल देंगे किसी अनजानी राह पर एकाकी
होंठों पर सजाकर, एक नकली मुस्कुराहट
फ्रेम की हुई फोटो में रह जाएँगे सिमटकर

छोड़ जाएँगे अनेकों औपचारिक संवेदनाएँ
अगणित ऊँ शांति, सादर नमन, श्रद्धासुमन
बहुत सारे बनावटी रिश्ते नाते, बंधु, स्वजन
गिनती की पनीली आँखें, रीते बिलखते मन
अधूरी आकांक्षाओं के हाहाकार करते जंगल

अंत:स्थल में छुपाकर रखी अनेक कल्पनाएँ
पुनर्जीवित कर देने वाली असंख्य मीठी यादें
उदास हो मौन ही शून्य में विलीन हो जाएँगी
छूट जाएगा बैंक बैलेंस, ढेरों सुख सुविधाएँ
शौक से खरीदे कपड़े, गहने, मकान, जमीन

बड़े जतन से सहेजी देह, रूप, रंग, आवाज
शीघ्रता से अविलंब दूर अनंत में खो जाएँगे
पल भर में ही, सब कुछ अतीत बन जाएगा
समय निरंतर अपनी गति से बहता ही रहेगा
शेष रह जाएँगी स्मृतियाँ और सिर्फ स्मृतियाँ

डाॅ. सुकृति घोष
प्राध्यापक, भौतिक शास्त्र
शा. के. आर. जी. काॅलेज
ग्वालियर, मध्यप्रदेश

2 Likes · 319 Views
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