नशीली सी महक फिज़ा, में छा रही है देख लो।
गज़ल
1212……..1212…….1212…….1212
नशीली सी महक फिज़ा, में छा रही है देख लो।
महक हवा की कह रही, वो आ रही है देख लो।
हैं तन बदन में मस्तियां, शबाब पर है इश्क भी,
मुहब्बतों के गीत आंख, गा रही है देख लो।
जिसे मिले थे ख़्वाब में, मिलन के ख़्वाब आज भी,
वो आज भी तो दिल मेरा, चुरा रही है देख लो।
दिया है उसने दर्द जो, वही शुकून है मेरा,
वही तो दर्दे दिल की भी, दवा रही है देख लो।
है मुद्दतों से इंतजार, चैन भी है खो गया,
न आ रही न जा रही, सता रही है देख लो।
वो लैला है वो हीर है, वो प्यार में फकीर है,
यही तो उसके इश्क की, अदा रही है देख लो।
जिधर भी डाल दे नज़र,शमां की लौ मचल उठे,
वो प्रेमियों को प्यार में, तपा रही है देख लो।
……✍️ प्रेमी