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24 Jul 2020 · 1 min read

” नशा ” ️️

सरल भाव में लिखती हूं मै
चंचल मन की अंतरशाला,
होकर मग्न परे दुनिया से
चल पड़े हम मधुशाला।

अंतर्मन की गहरी लाली
छाव ज़ुल्फ का है काला,
आंखों में है नशा जाम का
अधरों पर भरा प्याला।

मनोभाव से बहक रही हूं
बिछड़ रही मुझसे हाला,
होकर मग्न, परे दुनिया से
चल पड़े हम मधुशाला।

चांद भी देकर साथ हमारा
बहक रहा होकर बाला,
खो कर जाम की गहराई में
पी गए हम मधुशाला।

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 455 Views
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