नशा……………..४
नशा……………..४
नशा जवानी का अक्सर होश खो देता है
अच्छे – बुरे मे फर्क कि समझ खो देता है
भटक जाता इस उम्र में युवा जीवन पथ से
बहकर रवानी की लहर मे मंजिल खो देता है ।।
।
।
डी. के. निवातियॉ___________@
नशा……………..४
नशा जवानी का अक्सर होश खो देता है
अच्छे – बुरे मे फर्क कि समझ खो देता है
भटक जाता इस उम्र में युवा जीवन पथ से
बहकर रवानी की लहर मे मंजिल खो देता है ।।
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डी. के. निवातियॉ___________@