नशा न अपनाइए
मानव का रूप मिला,
सुन्दर ये तन खिला,
सोच कर नेक भाई,
खुशी के गीत गाइये।
खान पान शुद्ध रहे,
मन भी प्रबुद्ध रहे,
जग में महान बन,
खूब नाम कमाइये।
बनो एक इंसां तुम,
नहीं खाना भांग गुम,
छोड़ि छाड़ि मंदिरा को,
मन शुद्ध बनाइये।
जब करें नशा भाई,
घर घर रोये माई,
है मान शान खो रहा,
धन धान्य बचाइये।
नशा तन नाश करे,
बिना चिता जीव मरे,
नाश मन का भी होवे,
नई सोच बनाइये।
खाओ जी खोवा मलाई,
भूखे का भी हो भलाई,
मत छोड़ बीड़ी धुँआ,
पर्यावरण बचाइये।
कहीं कहीं सुखी खैनी,
करती कैंसर पैनी,
नाक मुँह टेढ़ होवे,
काया न झुलसाइये।
नशा कर नाली गिरे,
खूब मल चढ़े सिरे,
श्वान कहीं धो न डाले,
नाक मुँह बचाइये।
गर जीना उठा सिर,
नहीं तू मदों में गिर,
छोड़ धूम्रपान सब,
नशा न अपनाइये।
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अशोक शर्मा,कुशीनगर,उ.प्र.
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