नशा नहीं सुहाना कहर हूं मैं
“नशा नहीं सुहाना कहर हूं मैं ”
नशा नहीं हूं मैं तो हूं सुहाना सा कहर
जाने किस किसको आज बर्बाद करूंगा
आएगा जो बस एक बार मेरे संपर्क में
ताउम्र वह मेरी तड़फ कर गुलामी करेगा,
क्यों सुनते हो तुम प्राचीन पुराण, ग्रंथों की
जिनमें शैतान के फ़ूल अफ़ीम उन्होंने बतलाई
पुराणों में सूरा मिला मुझको नाम तो इन्हीं में
कहीं दबा नशे का भांग रूप विजया कहलाई,
ऋग्वेद में तो कह दिया था सोमरस मुझे
इन्हीं ग्रंथो में कहीं मैं अमृत भी था कहलाया
आम भाषा में अमरता का नगीना भी मैं ही हूं
व्यसनी ने तो मुझे भावना की औषधि बताया,
बलवर्धक दवा मानना तुम्हारा गलत है नज़रिया
क्यों कोई मुझे स्वर्ग के द्वार की चाबी कह जाए
आटा, राव, सूरा, ताला, वारूणी, मधुका, खांड
अरिस्ठ, पैष्ठी, शीरा प्राचीन शराब के नाम बताए,
कोकीन, कैफिन, हेरोइन, चरस, गांजा, सिगार
हशीश, सिगरेट, हुक्का, मार्फिन, और एल एस डी
जिसको लगी लत मुझे खाने, पीने, सूंघने की
नवयुवक की जिंदगी मैंने आसानी से बर्बाद करदी,
सुल्फा, धतूरा, स्मैक, बीड़ी, दारू और ब्राउन शुगर
नव युवा वर्ग तुमने क्यों फैशन आज बना लिया है ?
उत्तेजक, निश्चेतक, अवसादक, मायिक ग्रहण करते
जीते जी स्वयं को क्यों तुमने मुर्दा बना लिया है ?
मेरा तो नाम ही है सुहाना जहर, जो जन्मा
तुम्हारा आनंदमयी सफ़र खत्म करने के लिए
क्यों तुम्हे बिल्कुल भी संकोच नहीं होता जब जग
भंगेड़ी, दारूडा, गंजेडी, स्मैक्ची, चरसी, नशेड़ी पुकारे,
कुछ नही रखा है नशा व्यसन और झूठे दिखावे में
परिवार को मानव मत तूं जीते जी नशे का नरक दिखा
अपनयन लक्षण पर भी पार पा लेगा तूं आसानी से
एक बार नशा छोड़ने की तनिक मनुहार तो दिखा,
अखिल भारतीय अफ़ीम नशा निवारण केंद्र माणकलाव
जोधपुर में तेरा नशा मुक्ति का सरल रास्ता भी निकलेगा
पद्म विभूषण श्री नारायण सिंह जी के सपनों से निकला
माणकलाव मॉडल जिंदगी में संजीवनी बूटी बन उभरेगा,
खूबसूरत जीवन मुझसे लिपटकर मत तूं बर्बाद कर नर
सात्विक आहार लेकर प्रकृति की गोद में कर शांत बसेरा
मेहनत कर, स्वस्थ रह परिवार संग हर्षोलास से जीवन गुज़ार
दिन ढलता है तो अवश्य ही आएगा एक स्वर्णिम सवेरा।