नशा नये साल का
दे कर बिदाई अब पुराने साल को।
ख़ुश आमदीद कहिये नये साल को।
जश्न की क़तारें लगी हैं चारों ओर।
बधाईयों की मची हैं हर तरफ शोर।
रसोई घर बना है देखो यहाँ हर वन।
ख़ुशी में झूमता है सभी का तन-मन।
साल के पहले दिन हैं इतने जोश में।
कि कहाँ रहें अब ये लोग पूरे होश में।
नचा बोतलें करते हैं साल को बदनाम।
फिर ये बोतलें नचाती हैं उन्हें सरेआम।
भूला बैठे हैं सभी अब अपनी ख़ामियाँ।
फिर गुनाह कर वो बटोरते हैं तालियाँ।
दूसरों को दुआऐं देते हैं आबाद होने की।
ख़ुद हरकतें करते हैं वो बर्बाद होने की।
नया साल है कुछ नया कर दिखाने का।
न कि ख़ुद को रास्ता दिखा महख़ाने का।
फिसला जो वक़्त गर मुठी से रेत की तरह।
नया साल भी रो पड़ेगा पुराने साल की तरह।