नव संवत्सर
स्वागत स्वागत स्वागत नव संवत्सर।
नव वर्ष के स्वागत में हम सब हैं नतमस्तक ।।
चैत्र पक्ष की शुक्ल प्रतिपदा में यह पर्व मनाते।
हिंदू भगवा धारण करके संघ का मान बढ़ाते।
विश्व गुरु भारत का सपना मन में लिए उत्कर्ष।
स्वागत स्वागत स्वागत नव संवत्सर।।
ब्रह्मा ऋषि ने इसी समय किया सृष्टि का प्रारंभ।
शक्ति के नव रूप भी इसी माह में हो आरंभ।
रामराज अभिषेक अवध में फैला चहूं दिशी हर्ष।
स्वागत स्वागत स्वागत नव संवत्सर।।
पकी फसल की खुशबू खेतों को ऐसे महकाये।
धान अन्न से भरी कुटी कृषकों का मन हरषाए।
प्रकृति रंग बिरंगी होकर मना रही नववर्ष।
स्वागत स्वागत स्वागत नव संवत्सर।।
नववर्ष इस इस स्वागत में हम सब हुए नतमस्तक।।