Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Jun 2016 · 1 min read

नव विहान

नव विहान
〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰
नव विहान नव ऊर्जा लेकर,
जगत पटल रोशन करता है ।
व्यग्र-तृप्त, हर्षित-विशाद पर
मानस नित दोलन करता है ।।

पंछी गण नव कलरव लेकर
गीत विहंगम नित्य सुनाती ।
जीवन के हर श्रृंग-गर्त को
समय सरि दोहन करती है ।।

निद्रित चेतन सर्द अनिल से
जागृत नित नूतन करता है ।
सत्व अनल सम आत्माग्नि को
सात्विक संशोधन करताहै ।।

सत्य और देवत्व हृदय में
नित्य ही आवाहन करता है ।
न्याय प्रेम की गुणवत्ता की
आत्मा नित मंथन करती है ।।

मानव में मानवता लाओ
जीवन के समरसता लाओ ।
बनके नित विनीत विनय ही
देवों सा जीवन बनता है ।।

????
सामरिक अरुण
NDS झारखण्ड
27/04/2016

Language: Hindi
1 Comment · 704 Views

You may also like these posts

अनजान दीवार
अनजान दीवार
Mahender Singh
संघर्ष
संघर्ष
Ashwini sharma
प्रकट भये दीन दयाला
प्रकट भये दीन दयाला
Bodhisatva kastooriya
"उम्रों के बूढे हुए जिस्मो को लांघकर ,अगर कभी हम मिले तो उस
Shubham Pandey (S P)
शेख़ लड़ रओ चिल्ली ते।
शेख़ लड़ रओ चिल्ली ते।
*प्रणय*
"जीत सको तो"
Dr. Kishan tandon kranti
ہر طرف رنج ہے، آلام ہے، تنہائی ہے
ہر طرف رنج ہے، آلام ہے، تنہائی ہے
अरशद रसूल बदायूंनी
इमारतों में जो रहते हैं
इमारतों में जो रहते हैं
Chitra Bisht
मनभावन होली
मनभावन होली
Anamika Tiwari 'annpurna '
बर्फ़ के भीतर, अंगार-सा दहक रहा हूँ आजकल-
बर्फ़ के भीतर, अंगार-सा दहक रहा हूँ आजकल-
Shreedhar
3629.💐 *पूर्णिका* 💐
3629.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
कुंडलियां
कुंडलियां
seema sharma
एक सत्य मेरा भी
एक सत्य मेरा भी
Kirtika Namdev
शामें दर शाम गुजरती जा रहीं हैं।
शामें दर शाम गुजरती जा रहीं हैं।
शिव प्रताप लोधी
व्हाट्सएप युग का प्रेम
व्हाट्सएप युग का प्रेम
Shaily
ये जीवन किसी का भी,
ये जीवन किसी का भी,
Dr. Man Mohan Krishna
किसी सहरा में तो इक फूल है खिलना बहुत मुश्किल
किसी सहरा में तो इक फूल है खिलना बहुत मुश्किल
अंसार एटवी
एक दिन सूखे पत्तों की मानिंद
एक दिन सूखे पत्तों की मानिंद
पूर्वार्थ
सत्य
सत्य
देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'
इस तरह कब तक दरिंदों को बचाया जाएगा।
इस तरह कब तक दरिंदों को बचाया जाएगा।
सत्य कुमार प्रेमी
2) भीड़
2) भीड़
पूनम झा 'प्रथमा'
Two Different Genders, Two Different Bodies And A Single Soul
Two Different Genders, Two Different Bodies And A Single Soul
Manisha Manjari
नाव
नाव
विजय कुमार नामदेव
दोहा पंचक. . . . .
दोहा पंचक. . . . .
sushil sarna
तूं कैसे नज़र अंदाज़ कर देती हों दिखा कर जाना
तूं कैसे नज़र अंदाज़ कर देती हों दिखा कर जाना
Keshav kishor Kumar
पुराने दोस्त वापस लौट आते
पुराने दोस्त वापस लौट आते
Shakuntla Shaku
संवेदी
संवेदी
Rajesh Kumar Kaurav
सोना बन..., रे आलू..!
सोना बन..., रे आलू..!
पंकज परिंदा
बसंत बहार
बसंत बहार
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
*जैन पब्लिक लाइब्रेरी, रामपुर*
*जैन पब्लिक लाइब्रेरी, रामपुर*
Ravi Prakash
Loading...