नवोदियन दिन
कोई हाल मस्त कोई चाल मस्त
कोई खा कर है रोटी दाल मस्त
नवोदियन तो यारों वहांँ होता है
होता है वहांँ पर हर हाल मस्त
वहांँ रंग बिरंगी अजब दुनिया में
होता है वहांँ पर हर नवरंग मस्त
मस्ती में मस्त सभी हो जाते हैं
कभी हँसते हैं कभी बिलखते हैं
घर द्वार संबंधी छोड़कर आते हैं
नवोदय के रंग में रंग रम जाते हैं
जब याद कभी घर की आती है0
मित्रता संजीदगी से निभाते हैं
किसी पल भावुक खो जाते हैं
भवसागर में गोतें खूब लगाते हैं
बनती हैं उनकी अपनी टोलियाँ
खेलते हैं आपस में सब होलियाँ
खुश रहते और खुश रखते हैं
दीवाली पर पटाखें भी बजते हैं
कभी रूठते हैं कभी मनाते हैं
कृष्ण जन्माष्टमी खूब मनाते हैं
चर्ती होकर भी वर्ती बन जाते हैं
दूसरों का हिस्सा भी खा जाते हैं
खुद बचते हैं, औरों को बचाते हैं
रक्षाबंधन पर नई चालें चलाते हैं
कुछ बेहद शरीफ और शर्मालू हैं
कुछ उदण्ड प्रवृत्ति झगड़ालू हैं
शिष्टाचारी ,अनुशासित होते हैं
पर रातों को उठ कर भी रोते है
कक्षानुसार पढाई खूब करते हैं
सदनानुसार ही आवास करते हैं
जिन्दगी कटती सदा कतारों म़े
खेलते हैं खूब खेल मैदानों में
नृत्य,गीत,नाटक या वाद विवाद
भाषण,कविता,सुलेख या संवाद
हर विधा की प्रतियोगिता समान
भाग लेते और करते प्राप्त स्थान
शरारतें करते कहकहे ठिठोली
खेलते खूब रंगो से रंगीली होली
आपस में अठखेलियाँ भी करते
कोतूहल करते लड़ते झगड़ते
झूठी शिकायत कर के पिटवाते
जुनियर से खाना भी मंगवाते
रौब झाड़ते और काम करवाते
प्यार से उनका दिल भी बहलाते
भैया दीदी उनसे खूब कहलवाते
और भैया दीदी का फर्ज निभाते
चोरी चोरी और चुपके चुपके से
अजीबोगरीब शरारतें भी करते
बिजली के हीटर पर मेरे यारो
अर्द्ध में रात्रि पकोड़े तलते यारों
फिर अचानक पकड़े जाने पर
बहाने अजीबोगरीब घड़ते यारों
होतें हैं खूब सुहाने मस्ताने दिन
रोमांचकारी चिरविस्मरणीय दिन
जय नवोदियन जय नवोदय
सुखविंद्र सिंह मनसीरत