नववर्ष मुबारक
दिल में बहार हो,
ख़ुशी की फुहार हो,
पूरी हर मुराद हो,
जिन्दगी आबाद हो,
जीने की उमंग हो,
प्यार की तरंग हो,
कोई भी नंग हो,
न ही कोई तंग हो,
सब रंग रस हो,
निज पर सब संग हो,
द्वेष का न भाव हो,
प्यार लाजवाब हो,
किसी का न सवाल हो,
न ही कोई बवाल हो,
बड़ो का सत्कार हो,
छोटों से प्यार हो,
किस्तों में कटाव हो,
रिश्तों में ठहराव हो,
सुख का प्रसार हो,
दुःख दरकिनार हो,
उन्नति का सार हो,
संगति का संग साथ हों,
रंजिशों का नाश हों,
मन्नतों का वास हो,
सुखकमल की और से,
नव वर्ष कुछ खास हो।
….सुखविंद्र सिंह