नवरंग समाए बिन होली
देखकर तेरी मेरी राहे ।
बहुत बेचैन ये निगाहें ।।
एक दूजे को हम चाहे ।
सूनी पड़ी कब से बाहें ।।
प्रेम का रिश्ता है अटूट ।
कैसे जाए हम अब रूठ ।।
बोल सकते न तुमसे झूठ ।
सब कुछ लिया तुमने लूट ।।
जबसे मिले हैं हम ।
दूर हुआ सारा तम ।।
बांट लिया हर गम ।
खुशी से है आँखे नम ।।
सुन तेरी मीठी बोली ।
प्रेम से भरती झोली ।
सूरत कितनी है भोली ।
नवरंग समाए बिन होली ।।