नवगीत
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नाली जाम, सड़क पर पानी
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नगरपालिका नगर-व्यवस्था
दयापात्र, दयनीय कहानी,
नाली जाम, सड़क पर पानी.
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बाबू की बीबी की साड़ी
में, मोती की जरी लगी है,
जमा हुई सीवर की पूँजी,
भूल चूक की थरी लगी है,
नगराध्यक्ष बना है अंधा,
काट रहा है सोना-चानी.
नाली जाम, सड़क पर पानी.
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बारिश हुई कि मेंढक निकले
उफन गये ऐरावत नाले,
नगरपालिका-सभागार में,
विज्ञापन के ग्रैंड फिनाले,
मटक रहा है ‘नाच बिदेशिया’
घूँघट उठा चुनरिया धानी.
नाली जाम, सड़क पर पानी.
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क्रमचय-संचय अंको की है,
बीजगणित की स्वर्णिम माला,
गहन विचिंतन के विधान में,
लगा हुआ मकड़ी का जाला,
लोकत्रंत्र कैसे कह सकता?
‘कोउ नृप होउ हमें का हानी’
नाली जाम, सड़क पर पानी.
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०७.०३.२०२०
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शिवानन्द सिंह ‘सहयोगी’
मेरठ
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