नवगीत
***
माँ
**
माँ तुम केवल शब्द नहीं हो
तुम अक्षर अनुप्रास
तुम जननी निरकेवल भाषा
तुम ममता का पत्र
तुम सामाजिक एक धरोहर
तुम प्रतीक का सत्र
तुम संवेदन सहनशीलता
अवलोकन की प्यास
तुम असाढ़ की भीगी बदली
तुम मंदिर का शंख
आसमान की किरण कौमुदी
तुम तोते का पंख
तुम आशा का मंत्र नियंत्रित
एक अडिग विश्वास
तुम कवियों की पहली कविता
तुम अगहन की धूप
तुम अन्तस् की गहराई का
प्रत्यय एक अनूप
तुम टंकित आचारसंहिता
अनुबंधी इतिहास
वेद-वाक्य तुम श्लोक-ऋचा हो
पन्ना पोथी पंथ
छन्दमुक्त नवगीत विधा हो
तुम पौराणिक ग्रन्थ
तुम विशिष्ट तुम शिष्ट रहस्या
तुम व्याख्या तुम व्यास
शिवानन्द सिंह ‘सहयोगी’
मेरठ