{{ नर है न नारी }}
पूरा परिवार लगे थे देने में, एक दूसरे को बधाई,
खुशी की लहर दौड़ी थी , सुन के एक नन्ही सी किलकारी,,
चेहरे सब खुद से मिलने लगे, आशीष देने को कतार थी लगाई,
दादी ने फिर हक़ जताया, मेरे पे गया है, वंश हैं हमारी,,
जब उसकी असलियत देखी सब ने, उतरे सब के चेहरे,
अधूरा बच्चा हैं ये, न तो नर है ना नारी,,
शुभाशीष पल में अभिशाप बन कर रह गया,
कोई उसे अब अपना चेहरा न देता, सब के मन थे भारी,,
घर ने भी ठुकराया और समाज ने भी ठुकरा दिया उसे,
तिरस्कार भरी नजरों में जीना, अब उसकी थी लाचारी,,
दुख अपना छुपा के .. खुशियो में नाच – गा कर,
हर महफ़िल की रौनक वो , गोद भराई हो या शादी की तैयारी,,
अपनेपन को तरसता वो,, डरते लोग इसकी बद्दुआओं से,
जिसका ज़ीवन ही श्राप बना हो, दुआ से भरता दुसरो की झोली सारी,,
न ठुकराओ इसे ये तो इंसान है, क्या गलती इनकी जो ये जीवन मिला,
इन्हें भी शामिल करो सब मे,स्वतंत्रता से ज़ीने की आज़ादी दो पूरी,