Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Jun 2023 · 1 min read

नर्मदे हर हर

नर्मदे हर हर नर्मदे हर हर ,नर्मदे हर हर नर्मदे हर हर।
नर्मदे हर हर नर्मदे हर हर नर्मदे हर हर नर्मदे हर हर ।
मिला यही वर है रूप शिव का किनारे पर जो डला हो कंकर।।
नर्मदे हर हर नर्मदे हर हर नर्मदे हर हर नर्मदे हर हर।।

किसी की छूटी है मोह माया,कोई करे है पवित्र काया ।
जो भक्त जैसे भी भाव लाया,न लौटा खाली वो सब है पाया।
पूर्ण होती मनोकामना जो दर्शनों को हैं जाते तट पर।
नर्मदे हर हर नर्मदे हर हर नर्मदे हर हर नर्मदे हर।।

घाट घाट साधु सन्यासी किनारे चलते परिक्रमा वासी ।
श्रद्धाभाव से आते प्रवासी पाएं पुण्य सदाब्रत से निवासी
कोई कुटी में मगन भजन में कोई मजे में है अपने घर पर।
नर्मदे हर हर नर्मदे हर हर नर्मदे हर हर नर्मदे हर हर ।

शहर के नाले पसारे बाहें, रेत खनन से भी माँ कराहें।
जो कष्टप्रद अब हुई हैं राहें, किसे पुकारे दुखी निगाहें ।
वो तुमको पापा से मुक्त कर दें तू गंदगी से उसे मुक्त कर
नर्मदे हर हर नर्मदे हर हर नर्मदे हर हर नर्मदे हर हर।।

✍श्रीमती ज्योति श्रीवास्तव साईंखेड़ा
जिला नरसिंहपुर (mp)

Language: Hindi
Tag: गीत
208 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"मां बनी मम्मी"
पंकज कुमार कर्ण
कमियाबी क्या है
कमियाबी क्या है
पूर्वार्थ
आजा मेरे दिल तू , मत जा मुझको छोड़कर
आजा मेरे दिल तू , मत जा मुझको छोड़कर
gurudeenverma198
" खामोश आंसू "
Aarti sirsat
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
आया यह मृदु - गीत कहाँ से!
आया यह मृदु - गीत कहाँ से!
Anil Mishra Prahari
विश्व पटल से सदा सभी को एक दिवस
विश्व पटल से सदा सभी को एक दिवस
Ravi Prakash
मैं भी चापलूस बन गया (हास्य कविता)
मैं भी चापलूस बन गया (हास्य कविता)
Dr. Kishan Karigar
थक गई हूं
थक गई हूं
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
चली जाऊं जब मैं इस जहां से.....
चली जाऊं जब मैं इस जहां से.....
Santosh Soni
रिश्तों के मायने
रिश्तों के मायने
Rajni kapoor
जिसका समय पहलवान...
जिसका समय पहलवान...
Priya princess panwar
■ नज़्म (ख़ुदा करता कि तुमको)
■ नज़्म (ख़ुदा करता कि तुमको)
*Author प्रणय प्रभात*
2545.पूर्णिका
2545.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
अंत समय
अंत समय
Vandna thakur
संगीत
संगीत
Vedha Singh
ज़िंदगी थी कहां
ज़िंदगी थी कहां
Dr fauzia Naseem shad
पृथ्वी दिवस
पृथ्वी दिवस
Bodhisatva kastooriya
लेकिन क्यों ?
लेकिन क्यों ?
Dinesh Kumar Gangwar
द्रौपदी ने भी रखा था ‘करवा चौथ’ का व्रत
द्रौपदी ने भी रखा था ‘करवा चौथ’ का व्रत
कवि रमेशराज
वो मुझे रूठने नही देती।
वो मुझे रूठने नही देती।
Rajendra Kushwaha
"संगठन परिवार है" एक जुमला या झूठ है। संगठन परिवार कभी नहीं
Sanjay ' शून्य'
*आओ बच्चों सीख सिखाऊँ*
*आओ बच्चों सीख सिखाऊँ*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
Friendship Day
Friendship Day
Tushar Jagawat
मैं स्त्री हूं भारत की।
मैं स्त्री हूं भारत की।
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
हक हैं हमें भी कहने दो
हक हैं हमें भी कहने दो
SHAMA PARVEEN
ଧରା ଜଳେ ନିଦାଘରେ
ଧରା ଜଳେ ନିଦାଘରେ
Bidyadhar Mantry
किसान
किसान
Dp Gangwar
जीवन में सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी मैं स्वयं को मानती हूँ
जीवन में सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी मैं स्वयं को मानती हूँ
ruby kumari
शैलजा छंद
शैलजा छंद
Subhash Singhai
Loading...