*”नरसिंह रूप अवतार’*
“नरसिंह अवतार”
विष्णु रूप में नरसिंह जी का नवीन अवतार।
भक्त प्रहलाद की रक्षा करने के लिए लिया क्रोध रूप अवतार।
शक्ति शौर्य का प्रतीक आधा नर आधा सिंह स्वरूप अवतार।
प्रहलाद की भक्तिज्ञान से विजय होवे जय जय जयकार।
सहस्त्र बाहु भुजाओं से हिरण्यकश्यप का वध कर संहार।
ऐसा लगता जैसे हर प्राणी का कर देगा नरसंहार।
प्रहलाद भी क्रोध को शांत न कर सके प्रयास विफल वो हार।
देवता गण भी भयभीत हो गए ब्रम्हा जी के शरण गए ले करुण पुकार।
परमपिता ब्रम्हा जी स्वयं विष्णु के आग्रह करने पर क्रोध को कर लिया स्वीकार।
नरसिंह जी की क्रोध की सीमाओं का नही कोई है पार।
साक्षत शिव शंकर जी विकराल ऋषभ का रूप धारण कर संहार।
नरसिंह जी को पूँछ में बांधकर ले गए पाताल लोक पार।
भरसक प्रयास के बाद पूँछ में जकड़ कर सारी शक्ति लगाने के बाद भी छूट न सके खेवनहार।
अंत में जब शक्तिहीन हो ऋषभदेव ने अपना रूप दिखाया तब क्रोध शांत हो दिव्य दर्शन अवतार।
हे नरसिंह देव अब प्रगट भयो विष्णु रूप धारण कर जगत में अवतार।
शशिकला व्यास