नये भारत का उदय पेज नंबर4
वह एक शून्य बन कर रह जाता है।उसे बोलने भी नहीं दिया जाता है।भारत की सनसद मे बुद्धि जीवी सभा का गठन होना चाहिए।अभी तक जिन बिषयों पर चर्चा नही हुईं है।उन पर चर्चा होनी चाहिए।जनत्त्र का मतलब आज तक इस देश की जनता समझ नही पा रही हैं।वह केवल नेता ही समझ पा रहे है।और सेवा कोई नही करना चहता है।जहाँ तक नौकर भी सेवा की परिभाषा नही।समझ पाया है।यहां की जनता बहुत ही अधविशवाशी है ।वह किसी के साथ चलने को तैयार हो जाती है।उसे आदमी की पहचान नहीं है।नया भारत नये पृयोगो का भारत बन रहा है।आज.हम भोगने की चाह मे सच्चाई से दूर होता चला जा रहा है।यही हमारे सामने सबसे बडी चुनौती है हम जो सोचते है ।वैसा ही बन जाते है पर सोचने के साथ हमें कदम भी बढाना पडता है ।आज जो भारत की विकास दर बढ़ी है।यह विकास करज का विकास है।इसलिए भारत का आम आदमी खुश नहीं है।।