नये देवता की खोज
शीर्षक – नये देवता की खोज
विधा – कविता
परिचय – ज्ञानीचोर
शोधार्थी व कवि साहित्यकार
मु.पो. रघुनाथगढ़,सीकर राजस्थान
मो. 9001321438
ईश्वर मर चुका है,
नये देवता की खोज करो।
अब देव स्वर्ग से नहीं,
गरीब झोपड़ी से पैदा करना
दिव्य स्वरूप नहीं
मुँख में रोटी का टुकड़ा
हाथ में हँसिया और दराती
टूटी-फूटी चप्पल हो
फूल माला सुगंध न हो
तन से गंध उठे पसीने की।
राजनीति को धूल चटा
प्रजातंत्र की खाई भरे
गिरा राजमहल के खम्भें
बने मजदूर की कुटिया ।
अब ईश्वर पुरूष नहीं
सिर्फ स्त्रीत्ववादी होगा
स्त्री होगी केन्द्र में
आदमी हो हाशिये पर
न्याय भटक न पाये
न्यायाधीश हो हर नारी।