नयी सुबह फिर आएगी…
नयी सुबह फिर आएगी
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जब विद्यालय की दीवारों पर टंगी घड़ियाँ,
टिकटिक करती तस्वीरें पढ़कर,
समय की पीड़ा जतायेगी।
जब ज्ञान वृक्ष की छाँव तले,
शिष्यों का मन फिर से आलोकित होकर,
देश की नयी तकदीर लिख जायेगी।
तो एक नयी सुबह फिर आयेगी…
जब गाँवों में पलता तरुण जोश,
पल-पल हो रहे पलायन रोक,
अपनी मिट्टी को माथे तिलक लगाएगी।
जब बच्चे-बूढ़े फिर से,
रामायण की चौपाई गा कर,
जर्जर होते रिश्तों को,अमृत बूंद पिलाएगी।
तो एक नयी सुबह फिर आयेगी…
मौलिक एवं स्वरचित
सर्वाधिकार सुरक्षित
© ® मनोज कुमार कर्ण
कटिहार ( बिहार )
तिथि – १७ /०४ /२०२२
वैशाख ,कृष्ण पक्ष,प्रतिपदा ,रविवार
विक्रम संवत २०७९
मोबाइल न. – 8757227201