Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 May 2024 · 1 min read

नयी कविता

किसी को देखकर सोंचा,
लिखूं एक सुन्दर कविता आज।
सजाऊँ अलंकारों से उसको,
छेड़ूँ फिर कोई मधुर साज।

वक़्त बीत गया किसी की,
तारीफ में गीत गाने का।
किसी को जी भर हंसाने का,
और किसी रूठे को मानाने का।
दिल में आज फिर आया,
की पहनूं मै आज कवी का ताज,
किसी को देखकर सोंचा,
लिखूं एक सुन्दर कविता आज।

देखा था उसको एक छण,
यूँ ही जरा रुक कर के।
जाना था मैंने उसको कुछ,
थोड़ी सी बात कर के।
समझ पाया था मै तब,
उसके कुछ अधूरे से राज।
किसी को देखकर सोंचा,
लिखूं एक सुन्दर कविता आज।

झाँका था मैंने कुछ तो,
उसकी आँखों की गहराइयों में।
पाया था मैंने खुद को अकेला,
उन सूनी राहों की तन्हाइयों में।
मेरे अतीत से तब जैसे,
टकराई हो कोई आवाज़।
किसी को देखकर सोंचा,
लिखूं एक सुन्दर कविता आज।

बड़ी मासूम सी चंचल,
अदाएं शोख हैं जिसकी,
बड़ी हिम्मत से हैं रहती,
करूँ क्या बात मै उसकी।
बनाया हैं उसे कुछ ख़ास,
जिसे खुद पर हैं बड़ा नाज़।
किसी को देखकर सोंचा,
लिखूं एक सुन्दर कविता आज।

किसी ने खोला हैं देखो,
मेरे अतीत की यादों का ताला।
छेड़ा है तराना दिल का,
रंगो में डूबी वो मधुर बाला।
उठा के कलम मैंने किया,
अब अपने गीतों का आगाज।
किसी को देखकर सोंचा,
लिखूं एक सुन्दर कविता आज।

Language: Hindi
79 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from प्रदीप कुमार गुप्ता
View all
You may also like:
मायके से लौटा मन
मायके से लौटा मन
Shweta Soni
..
..
*प्रणय*
बुरे लोग अच्छे क्यों नहीं बन जाते
बुरे लोग अच्छे क्यों नहीं बन जाते
Sonam Puneet Dubey
इंसान चाहता है सब कुछ अपने वक्त पर,पर जिंदगी का हर मोड़ है व
इंसान चाहता है सब कुछ अपने वक्त पर,पर जिंदगी का हर मोड़ है व
पूर्वार्थ
बिंते-हव्वा (हव्वा की बेटी)
बिंते-हव्वा (हव्वा की बेटी)
Shekhar Chandra Mitra
सच कहना जूठ कहने से थोड़ा मुश्किल होता है, क्योंकि इसे कहने म
सच कहना जूठ कहने से थोड़ा मुश्किल होता है, क्योंकि इसे कहने म
ruby kumari
बाल कविता : काले बादल
बाल कविता : काले बादल
Rajesh Kumar Arjun
रुका तू मुद्दतों के बाद मुस्कुरा के पास है
रुका तू मुद्दतों के बाद मुस्कुरा के पास है
Meenakshi Masoom
हो पवित्र चित्त, चित्र चांद सा चमकता है।
हो पवित्र चित्त, चित्र चांद सा चमकता है।
Sanjay ' शून्य'
मां रिश्तों में सबसे जुदा सी होती है।
मां रिश्तों में सबसे जुदा सी होती है।
Taj Mohammad
रमेशराज के प्रेमपरक दोहे
रमेशराज के प्रेमपरक दोहे
कवि रमेशराज
**!! अलविदा दीपावली !!*
**!! अलविदा दीपावली !!*"
AVINASH (Avi...) MEHRA
ये आप पर है कि ज़िंदगी कैसे जीते हैं,
ये आप पर है कि ज़िंदगी कैसे जीते हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
गुज़ारिश आसमां से है
गुज़ारिश आसमां से है
Sangeeta Beniwal
ऐसे हालात क्यूॅं दिखाया तूने ईश्वर !
ऐसे हालात क्यूॅं दिखाया तूने ईश्वर !
Ajit Kumar "Karn"
यदि आपका चरित्र और कर्म श्रेष्ठ हैं, तो भविष्य आपका गुलाम हो
यदि आपका चरित्र और कर्म श्रेष्ठ हैं, तो भविष्य आपका गुलाम हो
Lokesh Sharma
हे मेरे प्रिय मित्र
हे मेरे प्रिय मित्र
कृष्णकांत गुर्जर
3808.💐 *पूर्णिका* 💐
3808.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
लोग महापुरुषों एवम् बड़ी हस्तियों के छोटे से विचार को भी काफ
लोग महापुरुषों एवम् बड़ी हस्तियों के छोटे से विचार को भी काफ
Rj Anand Prajapati
"जुलमी सूरज"
Dr. Kishan tandon kranti
*उत्साह जरूरी जीवन में, ऊर्जा नित मन में भरी रहे (राधेश्यामी
*उत्साह जरूरी जीवन में, ऊर्जा नित मन में भरी रहे (राधेश्यामी
Ravi Prakash
सीता स्वयंवर, सीता सजी स्वयंवर में देख माताएं मन हर्षित हो गई री
सीता स्वयंवर, सीता सजी स्वयंवर में देख माताएं मन हर्षित हो गई री
Dr.sima
आकाश से आगे
आकाश से आगे
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
आओ लौट चले 2.0
आओ लौट चले 2.0
Dr. Mahesh Kumawat
वक़्त को वक़्त ही
वक़्त को वक़्त ही
Dr fauzia Naseem shad
वाह भाई वाह
वाह भाई वाह
Dr Mukesh 'Aseemit'
ताश के महल अब हम बनाते नहीं
ताश के महल अब हम बनाते नहीं
इंजी. संजय श्रीवास्तव
वर्तमान साहित्यिक कालखंड को क्या नाम दूँ.
वर्तमान साहित्यिक कालखंड को क्या नाम दूँ.
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
દુશ્મનો
દુશ્મનો
Otteri Selvakumar
साधिये
साधिये
Dr.Pratibha Prakash
Loading...