नया सूरज
पूरब की खिड़की खुली
तिमिर -तिरिहित होने लगा
चांद भी छिपने लगा
अरुणारभ किरणें आने लगी
रश्मि- रथ देखकर
चिड़ियां/खग गण गाने लगे
‘भोर हो गया’
‘भोर हो गया…..’
बच्चों से बोली:
जागो ! जागो!!
उठो ! उठो !!
निकलो बाहर
नया सूरज आने को है
कलरव उन्हें सुनाओं जी भर
जिनकी प्रतीक्षा थी रात भर
नई आशा से मुझे जाना है
तुम्हारे लिए दाना लाना है।
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@मौलिक रचना – घनश्याम पोद्दार
मुंगेर