नया साल का शोर
नया साल आ रहा है।
नया साल आ रहा है।
हर तरफ यह शोर है।
बच्चों और युवाओं में
इसका बड़ा जोर है।
नए साल के आगमन का
आहट अब हर ओर है।
नया साल जब आता है।
अमीरों को सौगात देता है।
गरीब का मजाक उड़ाता है।
गरीबों के तन पर न कपड़े है।
न खाने को माड़- भात है।
एक एक दाने का मोहताज है।
सोने के लिए वही टूटी खाट है
तो, घर के नाम फुटपाथ है ।
छत के जगह खुला आकाश है।
न जाने कब वह साल आएगा ।
गरीबी का नाम मिट जाएगा।
न होगा कोई भूखा और नंगा
जाति धर्म के नाम, यहां पर
नही होगा कहीं कोई दंगा।
सब होगा खुशहाल इस जग में।
जाने कब वह नया साल आएगा।
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रवि शंकर साह,देवघर
झारखंड