नया सहस
नया सहस
दृढ विश्वास को ह्रदय में भरकर
साहस से नयी शुरुवात कर
असंभव को संभव कर दिखला
फिर से एक नयी शुरुवात कर
जीवन पथ पर चलते चलते
कितना पाया खोया तुमने
अब थोड़ा सा समय क्या बदला
भूल गए अपने सहस को
कई दुखो को पार किया
भयभीत को तुमने हराया
यह समय है नयी शुरुवात का
समय है नए सहस का।।
प्रोफ डॉ दिनेश गुप्ता – आनंदश्री
मुंबई