नया वर्ष है आने वाला
स्वागत करने को व्याकुल है , नया वर्ष है आने वाला ।
खुशियों का करना है स्वागत , अतीत का दुःख जाने वाला ॥
सोचो तुमने इस जीवन में , कब माँ को हँसते देखा था ।
खिल खिलाने की वज़ह बनो अब सोलह तो है जाने वाला ॥
कब अतीत में तुमने सोचो , सूरज को उगते देखा था ।
नदियों का लहरा कर चलना , कब तू पर्वत चढ़ने वाला ॥
वर्ष और एक बीत गया है , लेकिन तुम अब भी जीवित हो ।
सोचो क्यों नहीँ किया काम ,यूँ हँसने और हँसाने वाला ॥
कसम उठा लो नये वर्ष में , खुल कर तुम जीना चाहते हो ।
कठिन नहीँ है कूछ भी करना , नया वर्ष है आने वाला ॥
विजय बिज़नोरी