जहां पर जन्म पाया है वो मां के गोद जैसा है।
ग़ज़ल
1222/1222/1222/1222
जहां पर जन्म पाया है वो मां के गोद जैसा है।
शहर जैसा नहीं तो क्या हमारा गांव अच्छा है।1
वहां की धूल मिट्टी याद आती नाव कागज की,
वो करना चाहता है सब जो मेरे दिल में बच्चा है।2
हमारे प्राथमिक स्कूल जिसमें जा के पढ़ते थे,
अभी भी याद गुरुजन टाट-फट्टे पाटी-बस्ता है।3
जो थे शैतान औ’ र शैतानियों पर खूब हॅंसते थे,
वो साथी याद आते है, यहां अब कौन हॅंसता है।4
जहां पर आज भी सुख दुख में शामिल होते हैं हम सब,
वहां इंसान का इंसान से अब तक भी रिश्ता है।
मैं प्रेमी हूं मुझे प्यारी है अपनी सरजमीं अब भी,
मेरा है गांव जैसा है वो मेरे दिल में बसता है।6
………✍️ सत्य कुमार प्रेमी