नयन
विषय,,, नयन
कान्हा ने राधिका को निहारा
भाव आसमां को नयनो मे उतारा
फूलो की बगिया,, ऊपर भवँरा,
मन्द मन्द मुस्काय ,राधे पुकारा।
राधे कान्हा से यह बोली
तेरी नयनो में अजीब संसार
समंदर खारा नदी मीठी धार
बहती है मोहब्बत की बयार
सगुन मिले मुझे पलको से
कहाँ से लाऊं नजारे उधार ।
हरी हरी फैली धरा पर चादर
देख धरा को झूमे यह मस्त सागर
मंडफिया में गोपियां बोली
वंशी बजाएंगे कान्हा यहां आकर
देख कान्हा को गोपिन तिरछी
नजरो से मस्त खुशी से निहारे
जल्दी आजाओ नदी तीरे
वंशी से हमे रास नचारे ।
उधर देवकीनंदन सुदामा को
रोते रोते तेज दौड़े आए ,
देख कांटो से छिले पैर
मिले गले नयनो से आँशु झर झर
आए ।
✍प्रवीण शर्मा ताल
स्वरचित मौलिक रचना
मोबाइल नंबर 9165996865