” नयन अभिराम आये हैं “
ग़ज़ल
खुशी की है लहर दौड़ी अवध में राम आये हैं
सुनी फ़रियाद भक्तों की चले सुखधाम आये हैं
सनातन पर हुए हमले धराशायी हुआ कब है
हमारी ही प्रतीक्षा के सुखद परिणाम आये हैं
पनपती आसुरी ताक़त विखंडित धर्म होता है
बचाने दीन को आखिर नयन अभिराम आये हैं
सजे हैं चौक चौबारे सजे हैं कुंज औ गलियाँ
नहीं है चाह महलों की सुनो निष्काम आये हैं
सुना है राम शबरी के सुना है राम केवट के
लिए आदर्श सा जीवन सभी के काम आये हैं
सुमिरता मन सदा लेक़िन अधर पर गीत हैं साजे
बुहारे पंथ है पलकें सुना श्रीराम आये हैं
दिशा दी है सुशासन की “बिरज” हम कल्पना करते
विमुख हम हो नहीं सकते हृदय के धाम आये हैं
स्वरचित / रचियता :
बृज व्यास
शाजापुर ( मध्य प्रदेश )