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18 Feb 2018 · 1 min read

नम आँखे

आँखें नम तो ठिठुरती हवाओं की भी हुआ करती हैं
तभी तो ओंस बन के फूलों पे गिरा करती हैं
कौन जाने ये आँसू हैं या शबनम के मोती
ये किसका दर्द लेके हवाऐं बहा करती हैं

आखिर इन हवाओं को किससे मुहब्बत हो गई
मौसम ने इनसे कुछ कहा क्यों इनकी आँखे भर गई
क्या चाँद इनको भा गया या खाब टूटा था कोई ?
या तन्हाई के आलम में ये रात इनको खल गई?

Language: Hindi
627 Views
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