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11 Jul 2020 · 1 min read

नमन करूं हे मातृशक्ति शब्द नहीं सम्मान को

सातों दिन और आठों याम, लेतीं नहीं कभी विश्राम
सबसे पहले उठ जातीं हैं, सबको चाय पिलातीं हैं
बच्चों को तैयार करें, लंच और बॉटल बैग भरें
जल्दी से स्कूल भेज कर, किचन में फिर घुस जातीं हैं
घर के लोगों की पसंद का, खाना रोज बनातीं हैं
साफ सफाई कपड़े लत्ते, सारा घर चमकातीं हैं
इतना सब करधर के घर का, काम पर अपने जातीं हैं
ना खुद की कोई इच्छाएं, खाने का भी ध्यान नहीं
परिवार के पालन पोषण में, खुद का है कोई भान नहीं
शाम ढले घर आ जाती हैं, चूल्हा चौका सुलगातीं हैं
बच्चों का फिर होमवर्क, नखरे घर के रोज उठाती हैं
ताने सुन कर भी गाती है ।
अगणित कष्ट सह जीवन में, हंसती और हंसातीं हैं
चैन की नींद सुला सबको, बाद में वह सो पातीं हैं
छुट्टी होती है सबकी, उनका काम और बढ़ जाता है
जब तक हाथ पैर चलते हैं, कामों से उनका नाता है
इस समाज की धुरी हैं वह, घर, घर उनसे ही होता है
कितना स्वार्थी है समाज, अत्याचार उन्हीं पर होता है
कब पहचानेगा समाज, उनके त्याग और बलिदान को
नमन करूं हे मातृशक्ति, नहीं शब्द सम्मान को

Language: Hindi
11 Likes · 7 Comments · 365 Views
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