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26 Aug 2017 · 1 min read

नबी नही ज़ालिम वाइज वो

खुदा से शिक़ायत कैसी है
अब ये इनायत कैसी है

फ़ाइक ने जब किया हो फ़रेब
तो फ़तवे पर फ़ित्ना की जरूरत कैसी है

फ़ाइक–श्रेष्ठ,महान
फ़त्वा= न्यायिक आदेश
फ़ित्ना= विद्रोह, दंगा

नबी नही ज़ालिम वाइज वो
तो बदचलन को रिवायत की जरूरत कैसी है

नबी= ईश्वरदूत, भविष्यद्वक्ता
वाइज– उपदेश देने वाला

दानिस्ता जब ख़ुदा बन गुस्ताख़ी की ही
तो गुस्ताख़ी के लिए गुहार कैसी है

नालिश जब तय हो वाइज पर
तो नासमझ, वाइज को नासाज़ कैसी है

नालिश= आरोप
नासूत–मानवता
नासाज़–असन्तुष्टि

जब वाइज का नाता हो हक़्मारानो से
तो वाइज को ड़रने की जरूरत कैसी है

भूपेन्द्र रावत
26।08।2017

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