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28 Jul 2023 · 2 min read

जितेन्द्र कमल आनंद जी

साहित्य को समर्पित एक अत्यंत ऊर्जावान व्यक्तित्व
**********************************
डॉ. अर्चना गुप्ता

आदरणीय जितेंद्र कमल आनंद जी को जितना मैने देखा है और जाना है वह एक ऐसे रचनाकार हैं जो न केवल एक सुप्रसिद्ध कवि हैं बल्कि साहित्य सेवक के रूप में आपने अपना श्रेष्ठ योगदान दिया है। जिस तरह आप तन मन धन तीनों से साहित्य के लिए समर्पित हैं वह नमनीय है। कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी हार न मानकर आप निरंतर साहित्य की गतिविधियों के प्रति सजग रहते हैं । निरंतर साहित्यिक कार्यक्रम कराते रहते हैं साथ ही नये लेखकों का मार्गदर्शन कर उन्हें प्रोत्साहित भी करते रहते हैं। जितना अच्छा लिखते हैं उतना ही अच्छा ओजपूर्ण आवाज़ में काव्यपाठ भी करते हैं।
गुरु के प्रति आपकी श्रद्धा प्रणम्य है।साहित्य मनीषी श्री जितेंद्र कमल आनंद जी अपनी कृति ’मधुशाला हाला प्याला’ का शुभारंभ गुरु वंदना से करते हैं।

गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु र्गुरुर्देवो महेश्वरः |
गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः ||

उपरोक्त कथन को सार्थक करती आपकी निम्नलिखित रचना , गुरु के प्रति आपकी भक्ति का बखान करती है –

“अखंड मंडल में जो व्याप्त हैं साकार हुए,
प्रेम की जो मूर्ति हैं दिव्य जिनके नाम हैं।
अज्ञान के तिमिरांध में हैं ज्ञान की श्लाका-से,
दिव्य नेत्र के प्रदाता छवि के जो धाम हैं।
सद विप्ररूपदाता ब्रह्म के समान हैं जो,
पालक विष्णु समान शिव से निष्काम हैं।
सच्चिदानंद स्वरुप उन पदम-चरणों में,
ऐसे मेरे अपने सद्गुरु को प्रणाम है।”

आपकी विभिन्न छंदों में लिखी गई अध्यात्म,दर्शन और भक्ति से ओतप्रोत सभी रचनाएँ पाठक के ह्रदय को अभिभूत कर देती हैं। यथा –

भक्ति गीत है,भक्ति मीत है,
प्रेम-पंथ है उजियाला।
नीराजन है, आराधन है,
भक्ति ‘कमल’ दीपक बाला।

आपके पास साहित्य का अकूत खज़ाना है ।आपके अपने एकल काव्य संग्रह मुख्यतः मधुशाला हाला प्याला, जय बाला जी, हनुमत उपासना, राजयोग महागीता
(पदम पुनीता) आदि के अतिरिक्त लगभग बीस से अधिक संपादित कृतियाँ भी हैं।
ऐसे श्रेष्ठ साहित्यकार का मैं हृदय से वन्दन करती हूँ और अपनी एक कुण्डली आपको समर्पित करती हूँ –

कवि भी हैं, गुरूदेव भी , श्री आनन्द बनाम
सेवा बस साहित्य की, करना जिनका काम करना जिनका काम,समर्पित है तन मन धन
सादा उच्च विचार, सरल सा इनका जीवन
कहे ‘अर्चना’ बात, चमकता है जैसे रवि
वैसे ही आचार्य , हमारे प्यारे हैं कवि

डॉ. अर्चना गुप्ता
संस्थापक साहित्यपीडिया
*************
28/०७/२०२३

Language: Hindi
Tag: लेख
98 Views
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