नफ़रत है संजीदा मोहब्बत से मुझे
मत चाहना तुम शिद्दत से मुझे
नफ़रत है संजीदा मोहब्बत से मुझे
जो भी मिल गया वहीं बेहतर है
शिकवा नहीं है किस्मत से मुझे
जब से देखे हैं कारनामे शरीफों के
डर सा लगता है शराफत से मुझे
मुझे देख के तुम जो मुस्कुराते हो
ज़माना देखता है खिलाफत से मुझे