Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Jan 2024 · 4 min read

नन्ही परी और घमंडी बिल्ली मिनी

एक थी बिल्ली , नाम था मिनी | पूरे जंगल में उसके जैसा चालाक कोई और नहीं था | उसके चार बच्चे थे | एक बार की बात है मिनी बिल्ली को अपने बच्चों के लिए भोजन नहीं मिल पाता है | वह अपनी ओर से पूरी कोशिश करती है कि कहीं से उसे अपने बच्चों के लिए दूध या फिर अन्य कोई खाने योग्य चीज मिल जाए किन्तु वह इस कोशिश में नाकाम हो जाती है | और एक पेड़ के नीचे बैठ सुबक – सुबक कर रोने लगती है | उसकी रोने की आवाज सुनकर वहां नन्ही परी प्रकट हो जाती है और मिनी से पूछती है कि वह क्यों रो रही है | मिनी बिल्ली अपनी व्यथा नन्ही परी को सुनाती है | नन्ही परी को मिनी बिल्ली पर दया आ जाती है | और वह मिनी बिल्ली को एक जादू की छड़ी देती है और कहती है कि तुम इस छड़ी से जो मांगो वह तुम्हें मिल जाएगा | किन्तु एक बात याद रखना कि इस छड़ी का इस्तेमाल तुम अपनी और दूसरे जानवरों की मदद के लिए कर सकती हो | लेकिन तुमने इसका गलत इस्तेमाल किया तो यह जादू की छड़ी मेरे पास वापस आ जायेगी |
मिनी बिल्ली जादू की छड़ी पाकर बहुत खुश होती है | उसे तो मानो बिन मांगे ही मुराद मिल गयी हो | अब वह रोज अपने बच्चों को उनके मन पसंद की चीजें खिलाती और खुद भी पूरे मजे लेती | धीरे – धीरे मिनी बिल्ली अपने घर तक ही सीमित होकर रह गयी | मिनी बिल्ली अब चूंकि घर के बाहर दिखाई नहीं देती सो जंगल में धीरे – धीरे यह बात फ़ैल गयी कि आजकल मिनी बिल्ली दिखाई नहीं दे रही | दूसरी ओर नन्ही परी भी सोचती कि मैंने मिनी बिल्ली को कभी किसी दूसरे की मदद करते नहीं देखा चलो आज इसकी परीक्षा लेती हूँ | नन्ही परी मिनी बिल्ली के घर के बाहर एक कुत्ते के रूप में आई और उससे खाने को कुछ माँगा तो मिनी बिल्ली के बच्चों ने अपनी माँ से कहा कि माँ यदि हमने दूसरे जानवरों की मदद की तो जादुई छड़ी में जो खाना है वह धीरे – धीरे ख़त्म हो जाएगा फिर हम भी भूखे रह जायेंगे | बच्चों की बात मिनी बिल्ली को ठीक लगी सो उसने कुत्ते की मदद से इनकार कर दिया | कुत्ते के रूप में आई नन्ही परी को यह ठीक नहीं लगा | फिर भी उसने सोचा कि इसे दो मौके और दूँगी | उसके बाद नहीं |
अगली बार फिर से नन्ही परी एक बंदर के रूप में मिनी बिल्ली के पास आई और खाने को कुछ माँगा | किन्तु इस बार भी उसे निराशा हाथ लगी | अब तो नन्ही परी को समझ में आ गया कि मिनी बिल्ली अपने वादे से पलट रही है | उसने उसकी अंतिम परीक्षा लेने की सोची और रात होने का इन्तजार करने लगी | जब रात हो गयी तो नन्ही परी मिनी बिल्ली के घर के बाहर एक मोरनी के रूप में पहुँच गयी और उससे खाने को कुछ मांगने लगी | किन्तु मिनी बिल्ली ने घमंड में चूर होकर कहा कि जिसको देखो मुंह उठाकर चला आता है |और उसने मोरनी के रूप में आई नन्ही परी को भगा दिया |
अगले दिन सुबह मिनी बिल्ली के बच्चों ने अपनी माँ से खाने के लिए सुन्दर और स्वादिष्ट पकवान की मांग की | मिनी बिल्ली उठी और अपनी जादुई छड़ी ढूँढने लगी किन्तु उसे जादुई छड़ी कहीं नहीं मिली | उसने घर में सारी जगह जादुई छड़ी को ढूंढा पर वह नहीं मिली | अंत में उसे एहसास हुआ कि जरूर किसी ने उसकी जादुई छड़ी चुरा ली है |
मिनी बिल्ली जंगल के राजा चिम्पू शेर के पास गयी और विनती की कि उसकी जादुई छड़ी किसी ने चुरा ली है | जंगल के राजा चिम्पू शेर ने कहा कि क्या किसी और जानवर को इसके बारे में मालूम था या तुमने किसी को जादुई छड़ी के बारे में किसी को बताया था | तो मिनी बिल्ली ने कहा कि मैंने तो किसी को नहीं बताया | तब जंगल के राजा चिम्पू शेर ने कहा कि जब किसी जानवर को जादुई छड़ी के बारे में मालूम ही नहीं तो फिर कैसे कोई तुम्हारी जादुई छड़ी चुरा सकता है | मिनी बिल्ली को जंगल के राजा चिम्पू शेर की बात ठीक लगी | फिर भी वह हाथ जोड़कर जंगल के राजा से कहने लगी कि मुझे मेरी जादुई छड़ी वापस चाहिए | जंगल के राजा चिम्पू शेर ने कहा कि यदि तुम्हारे पास ऐसी छड़ी थी तो तुम्हें मुझे बताना चाहिए था | अब तक तो हम उस छड़ी से जंगल में बहुत से अस्पताल , स्कूल , सुन्दर बगीचे और सभी के लिए भोजन की व्यवस्था कर लेते | जिससे दूसरे जानवरों की जान भी बच जाती | तुम्हारी घमंडी सोच ने सब कुछ बर्बाद कर दिया |
तभी वहां नन्ही परी प्रकट हो जाती है और कहती है कि मिनी बिल्ली तुमने दूसरों की मदद नहीं की इसलिए तुम्हारी जादुई छड़ी मेरे पास वापस आ गयी है | मिनी बिल्ली ने बहाना बनाकर कहा कि मैंने तो किसी के साथ ऐसा नहीं किया | इस पर नन्ही परी बोली कि मैं तेरे घर तीन बार आई थी परन्तु तूने मेरी सहायता नहीं की | इस पर मिनी बिल्ली ने कहा कि तुम तो मेरे घर आई ही नहीं | नन्ही परी ने जवाब दिया कि मैं तेरे घर कुत्ते, बंदर और मोरनी के रूप में आई थी किन्तु तूने किसी की सहायता नहीं की | तू बहुत घमंडी है इसलिए ये जादुई छड़ी अब मेरे पास वापस आ गयी है |
मिनी बिल्ली के पास अब कहने को कुछ नहीं बचा था | वह खुद पर शर्मिन्दा थी | नन्ही परी अपनी जादुई छड़ी के साथ गायब हो गयी | मिनी बिल्ली अपना सा मुंह लेकर घर की ओर चल दी |

1 Like · 509 Views
Books from अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
View all

You may also like these posts

शब्दों का संसार
शब्दों का संसार
Surinder blackpen
शाम
शाम
Kanchan Khanna
इश्क तू जज़्बात तू।
इश्क तू जज़्बात तू।
Rj Anand Prajapati
कभी महफ़िल कभी तन्हा कभी खुशियाँ कभी गम।
कभी महफ़िल कभी तन्हा कभी खुशियाँ कभी गम।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
मृत्युभोज
मृत्युभोज
अशोक कुमार ढोरिया
अपने शौक को जिंदा रखिए ..
अपने शौक को जिंदा रखिए ..
ओनिका सेतिया 'अनु '
सपनों की उड़ान
सपनों की उड़ान
meenu yadav
बहुत गहरी थी रात
बहुत गहरी थी रात
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
नजरे तो मिला ऐ भरत भाई
नजरे तो मिला ऐ भरत भाई
Baldev Chauhan
भारत रत्न की आस
भारत रत्न की आस
Sudhir srivastava
"फासला"
Dr. Kishan tandon kranti
हुनर हर जिंदगी का आपने हमको सिखा दिया।
हुनर हर जिंदगी का आपने हमको सिखा दिया।
Phool gufran
- ଓଟେରି ସେଲଭା କୁମାର
- ଓଟେରି ସେଲଭା କୁମାର
Otteri Selvakumar
संगीत का महत्व
संगीत का महत्व
Neeraj Agarwal
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
May 3, 2024
May 3, 2024
DR ARUN KUMAR SHASTRI
"बचपन यूं बड़े मज़े से बीता"
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
विचलित लोग
विचलित लोग
Mahender Singh
काशी विश्वनाथ।
काशी विश्वनाथ।
Dr Archana Gupta
सच्चे और ईमानदार लोगों को कभी ईमानदारी का सबुत नहीं देना पड़त
सच्चे और ईमानदार लोगों को कभी ईमानदारी का सबुत नहीं देना पड़त
Dr. Man Mohan Krishna
ये दिल उनपे हम भी तो हारे हुए हैं।
ये दिल उनपे हम भी तो हारे हुए हैं।
सत्य कुमार प्रेमी
नशा नाश करके रहे
नशा नाश करके रहे
विनोद सिल्ला
पंक्तियाँ
पंक्तियाँ
प्रभाकर मिश्र
"प्रतिमा-स्थापना के बाद प्राण-प्रतिष्ठा" जितना आवश्यक है "कृ
*प्रणय*
"" *हाय रे....* *गर्मी* ""
सुनीलानंद महंत
मुझे ‘शराफ़त’ के तराजू पर न तोला जाए
मुझे ‘शराफ़त’ के तराजू पर न तोला जाए
Keshav kishor Kumar
आज   भी   इंतज़ार   है  उसका,
आज भी इंतज़ार है उसका,
Dr fauzia Naseem shad
गुरुर
गुरुर
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
3181.*पूर्णिका*
3181.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
साहब का कुत्ता (हास्य-व्यंग्य कहानी)
साहब का कुत्ता (हास्य-व्यंग्य कहानी)
गुमनाम 'बाबा'
Loading...